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लेखनी कहानी -26-Aug-2022


आओ मेरे साथी
तुम्हें लेकर चलूं कभी
संगम के किनारे
बैठें ठंडी रेत पर 
लहरों को निहारें।

या कभी चलें हम
बनारस के घाट पर
और खुद की तलाश में 
हम बैठें रात भर।

एक बार चलना मेरे साथ
मेरे बगीचे की मेड़ों पर
जहां पक्षी कुछ समझाते हैं
बैठे बैठे पेड़ों पर ।

हम सब पथिक हैं
उस अस्तित्व के जो कभी मिलता नहीं
पर हमारे तलाश की गहराई
हमें उस अस्तित्व में
एकाकार करती है।
एक दिन समझ आता है
हम अस्तित्व से कभी 
अलग थे ही नहीं
हम सदा से एक थे हैं और
कभी अलग नहीं हो सकते।




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15 Comments

Bahut khub 👌

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Chetna swrnkar

27-Aug-2022 08:24 PM

Nice

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Anshumandwivedi426

27-Aug-2022 06:09 PM

प्रोत्साहन देकर मान रखने वाले सभी श्रेष्ठजनों को धन्यवाद

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